बुलबुल

एक खास आवाज जो वक्‍त की धडकन हैं

रविवार, 8 मार्च 2009


यादेंवो दिल भी क्‍या जो तुमसे मिलने की दुआ न करे ,

मै तुमको छोड कर जिन्‍दा रहूॅ खुदा न करे ा

रहेगा साथ तेरा प्‍यार जिन्‍दगी बन कर , ये और वात मेरी जिन्‍दगी वफा न करे ा

फलक पर आये सितारे तेरी सूरत बन कर ,

ये रात बीत न जाये कोयी दुआ न करे ा

जमाना देख चुका है परख चुका है मुझे,

यतीम जान के काबे मे इल्‍तजा न करे ा

हूॅ खुशनसीब जो पायी है जुदाइ तेरी ,

हमारी याद कभी तुमको गम जदा न करे ा

राहें

ये शाम यूही ढलेगी ,

ये रात यूही चलेगी ,

दिन का उजाला आयेगा,

जीवन का फसाना गायेगा ,

ये पहिया यूही घूमेगा ,

वक्‍त यूही झूमेगा ,

तुम चल सकते हो तो चल जाओ ,

तुम ढल सकते हो तो ढल जाओ

इतिहास युही दुहरायेगा ,

अंजाम वही बतलायेगा ,

है यही फसाना दुनिया का , अंजाम पुराना दुनिया का,

जो वक्‍त के आगे रहता है,

इलजाम वही बस सहता है,

इतिहास वही दुहराता है,

मंजिल पर पहुच जो पाता है ा

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