बुलबुल

एक खास आवाज जो वक्‍त की धडकन हैं

रविवार, 8 मार्च 2009


पैगाम

तेरी मुस्‍कराहट का अंजाम देखा

वो कैसे गया तेरा पैगाम देखा

जो रस्‍ते से गुजरा तो सिजदे के माफिक

जमी पर लिखा जब तेरा नाम देखा

तडपते हुये दिल का तुफान देखा

मुहब्‍बत क्‍यो होती है बदनाम देखा

नही थी खबर दीनो दुनिया की लेकिन

छलकता हुआ इश्‍क का जाम देखा

1 टिप्पणियाँ:

यहां 8 मार्च 2009 को 11:53 am बजे, Blogger Unknown ने कहा…

मुहब्‍बत क्‍यो होती है बदनाम देखा !मतलब कुछ समझ में आया ! अच्छा है !

 

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